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Supreme Court: ‘हर जिले में नियुक्त करें संरक्षण अधिकारी..’, कोर्ट का राज्यों-केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) को निर्देश दिया कि वे जिला और तालुका स्तर पर महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों की पहचान करें और उन्हें संरक्षण अधिकारी के रूप में नियुक्त करें। सरक्षण अधिकारी का काम घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करना है।

जस्टिस बी.वी.नागरत्ना और जस्टिस सत्येश चंद्र शर्मा की बेंच ने राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों और महिला एव बाल/समाज कल्याण विभागों के सचिवों को निर्देश दिया कि वे घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत अधिकारियों की संरक्षण अधिकारी के रूप में नियुक्ति सुनिश्चित करें।
शीर्ष कोर्ट ने कहा, ‘वे अधिनियम के प्रावधानों के बारे में जागरूकता बढ़ाने, अधिनियम के तहत सेवाओं का प्रभावी समन्वय सुनिश्चित करने और इसके प्रावधानों को लागू करने के लिए मीडिया के जरिए व्यापक प्रचार प्रसार करेंगे और धारा 11 के तहत अपने दायित्वों को निभाने के लिए कदम उठाएंगे।’

‘छह हफ्तों के भीतर पूरी की जाए प्रक्रिया’
बेंच ने निर्देश दिया कि जहां संरक्षण अधिकारी नियुक्त नहीं किए गए हैं, वहां यह प्रक्रिया छह हफ्तों के भीतर पूरी की जाए। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा, राज्य यह सुनिश्चित करेंगे कि सेवा प्रदाता, सहायता समूह और आश्रय गृह पीड़ित महिलाओं के लिए उपलब्ध हों। राज्य इस उद्देश्य के लिए आश्रय गृहों की पहचान भी करेंगे।

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